Driverless Car Trial से बदलेगा भारत का सड़क नज़ारा, सरकार ने दी मंजूरी

Driverless Car Trial : क्या आपने कभी सोचा है कि सड़क पर गाड़ियां बिना ड्राइवर के खुद-ब-खुद चलेंगी? अब ये सपना जल्द ही हकीकत बनने वाला है। भारत सरकार ने ड्राइवरलेस कार ट्रायल के लिए जरूरी टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम को हरी झंडी दे दी है। इससे अब देश में Driverless कारों का ट्रायल शुरू करने की तैयारी ज़ोरों पर है।

Driverless Car Trial

भारत में ड्राइवरलेस कार ट्रायल को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन अब सरकार ने इसे लेकर बड़ा कदम उठाया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की सिफारिश के बाद टेरा हर्ट्ज (THz) स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। यह स्पेक्ट्रम उन तकनीकों में इस्तेमाल होता है, जो ड्राइवरलेस कारों को सही दिशा और गति में चलाने के लिए जरूरी होते हैं।

डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन (DCC) ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। यानी अब भारत में कार कंपनियां बिना ड्राइवर के चलने वाली कारों का परीक्षण यानी ड्राइवरलेस कार ट्रायल कर सकेंगी।

Also Read:
इस बार बोलेरो बोले – Neo! Mahindra की Neo Plus बोलेरो में XL बॉडी, दमदार इंजन और प्रीमियम लुक का कॉम्बो!

क्या है टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम? जानिए इसके देसी मायने

टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम की रेंज 95 GHz से लेकर 3 THz तक होती है। यह स्पेक्ट्रम हाई-स्पीड और हाई-कैपेसिटी डेटा ट्रांसफर के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसमें ऑटोमोटिव रडार, रोबोटिक सिस्टम और यहां तक कि 6G नेटवर्क ट्रायल जैसी उन्नत तकनीकों में इसका इस्तेमाल होता है।

सरकार की योजना है कि इस स्पेक्ट्रम को अनुसंधान और विकास के लिए खोला जाए। इसके लिए कंपनियों को प्रति उपयोग 1,000 रुपये फीस देनी होगी और रजिस्ट्रेशन के बाद यह सुविधा 5 साल के लिए दी जाएगी। इस तरह से भारत में ड्राइवरलेस कार ट्रायल को कानूनी और तकनीकी आधार मिल जाएगा।

Also Read:
थार की वापसी, और तगड़ी! Mahindra Thar Facelift का नया अवतार देख बोले लोग – ये तो सीधा दिल पर वार!

ड्राइवरलेस कार कैसे चलती है, समझिए देसी भाषा में

ड्राइवरलेस कार या ऑटो ड्राइव कार, बिना इंसानी ड्राइवर के चलने वाली गाड़ी होती है। इसमें सेंसर, कैमरा, रडार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे उपकरण लगे होते हैं, जो रास्ते को स्कैन करते हैं, दूसरी गाड़ियों का ध्यान रखते हैं और ट्रैफिक सिग्नल से लेकर पैदल चलने वालों तक की पहचान करते हैं।

जैसे ही कार का सिस्टम किसी मोड़, ब्रेक या स्पीड को पहचानता है, वैसे ही वह अपने आप निर्णय लेकर चलने लगती है। इस प्रक्रिया को ऑटोमैटेड ड्राइविंग सिस्टम कहा जाता है। Tesla जैसी कंपनियों ने इसे कई साल पहले ही लागू कर दिया था, और अब भारत में भी यह टेक्नोलॉजी दस्तक देने जा रही है।

Also Read:
V6 इंजन, मसाज सीट्स और सनरूफ! Lexus LX 500d में शाही ठाठ, Speed भी है, स्टाइल भी है – LX 500d है!

ड्राइवरलेस कार ट्रायल से होंगे कई फायदे

ड्राइवरलेस कार ट्रायल का सबसे बड़ा फायदा होगा सड़क दुर्घटनाओं में कमी। मानवीय भूलें अक्सर हादसों की वजह बनती हैं, लेकिन ड्राइवरलेस कारें प्रोग्राम्ड होती हैं और इन्हें AI के ज़रिए नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा ट्रैफिक का बोझ घटेगा, ईंधन की बचत होगी और सफर का समय भी कम लगेगा।

ड्राइवरलेस कार ट्रायल से जुड़े सभी कदम सरकार की “डिजिटल इंडिया” और “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों को भी मजबूती देंगे। इससे देश में हाईटेक रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को नई टेक्नोलॉजी में काम करने के मौके मिलेंगे।

Also Read:
Upcoming Hyundai SUVs Upcoming Hyundai SUVs: इंटीरियर, इंजन और फीचर्स में सबको पीछे छोड़ेगी, Inster EV: स्मार्ट राइड, स्मार्ट चॉइस

देसी कंपनियों के लिए भी खुलेगा मौका

अब जब सरकार ने टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम को अनुमति दे दी है, तो Tata, Mahindra, Maruti Suzuki जैसी देसी कंपनियां भी ड्राइवरलेस कार ट्रायल में हिस्सा ले सकेंगी। वहीं विदेशी कंपनियां जैसे Tesla, Hyundai, और BMW पहले से इस तकनीक में काम कर रही हैं और भारत में इनका ट्रायल जल्द शुरू हो सकता है।

यह तकनीक भारत जैसे विविधता वाले देश में चुनौतीपूर्ण जरूर होगी, लेकिन सही परीक्षण और सरकार की मदद से ये सपना भी साकार हो सकता है।

Also Read:
Safest Cars In India : India की सबसे सुरक्षित इलेक्ट्रिक कार कौन सी है? Mahindra ने फिर कर दिया कमाल! जान बचे तो लाखों बचे!

भारत में ड्राइवरलेस कार ट्रायल की शुरुआत देश की तकनीकी क्रांति का अगला पड़ाव साबित हो सकती है। टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम की मंजूरी से यह रास्ता अब खुल चुका है और आने वाले समय में हम सड़कों पर बिना ड्राइवर की गाड़ियों को दौड़ता देख सकते हैं।

देसी अंदाज़ में कहें तो, अब “स्टेयरिंग छोड़े, सिस्टम पकड़े”, क्योंकि भारत भी अब स्मार्ट गाड़ियों के जमाने में कदम रखने जा रहा है। जितनी तेजी से तकनीक बदल रही है, उतनी ही तेजी से हमारे सफर भी बदलेंगे।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक गलत जानकारी या नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

Also Read:
440Nm टॉर्क वाली MPV, अब Innova का टाइम गया समझो! ड्यूल सनरूफ वाला झक्कास झटका!

Leave a Comment

Join Whatsapp Group