Wabtec की फैक्ट्री से निकली विश्वविजयी रेल! मेक इन इंडिया अब बना मेक फॉर अफ्रीका – गज़ब है जी! सारण की फैक्ट्री – अफ्रीका की ट्रेन!

बिहार की ज़मीन पर अब सिर्फ राजनीतिक गर्मी ही नहीं, मेक इन इंडिया का लोकोमोटिव भी तेज़ी से दौड़ने लगा है। पहली बार भारत में बने डीजल लोकोमोटिव्स की सीधी सप्लाई विदेशों में होगी और इसकी शुरुआत अफ्रीका से हो रही है। बात सिर्फ एक ट्रेन की नहीं, बल्कि एक नए भारत की है, जो अब सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ नहीं, बल्कि ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है। इस खबर में हम आपको बताएँगे कि कैसे Made in India इंजन, 3000 करोड़ का निर्यात करार, और बिहार रेल फैक्ट्री ने दुनिया के रेलवे मार्केट में भारत की धमाकेदार एंट्री कराई है।

बिहार की मिट्टी से उठी 3000 करोड़ की ताकत

सारण ज़िले के मारहोरा में बनी डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री अब केवल भारतीय रेल की ज़रूरतें पूरी नहीं करेगी, बल्कि अफ्रीका जैसे देशों को भी अपनी शक्ति का एहसास कराएगी। इसी हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्लांट से बने पहले निर्यात-योग्य लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाई। यह एक ऐसा क्षण है जिसने भारत को वैश्विक रेलवे उत्पादन केंद्र के रूप में मजबूती से खड़ा कर दिया है। इस फैक्ट्री से 150 डीजल लोकोमोटिव्स का एक बड़ा ऑर्डर अफ्रीका के गिनी देश को मिला है, जिसकी कीमत लगभग 3000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

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Made in India इंजन की पावर और टेक्नोलॉजी

यह कोई साधारण इंजन नहीं, बल्कि उच्च-शक्ति वाला स्टैंडर्ड-गेज लोकोमोटिव है जिसमें माइक्रोप्रोसेसर-आधारित कंट्रोल सिस्टम, AC प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी और आधुनिक ब्रेकिंग सिस्टम जैसे तगड़े फीचर्स शामिल हैं। इस लोकोमोटिव का नाम ‘Komo’ रखा गया है, जो गिनी के सिमंडौ प्रोजेक्ट के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। यह प्रोजेक्ट विश्व की सबसे बड़ी लौह अयस्क खदानों में गिना जाता है और इसमें भारत का ये Made in India इंजन अहम भूमिका निभाने वाला है।

Bihar रेल फैक्ट्री की अंतरराष्ट्रीय छलांग

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बिहार की यह फैक्ट्री Wabtec Inc. और Indian Railways का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें Wabtec का 76% और रेलवे का 24% हिस्सा है। 2018 में शुरू हुए इस प्लांट ने अब तक भारतीय रेल को 729 डीजल लोकोमोटिव्स डिलीवर किए हैं, जिनमें 4500 हॉर्सपावर वाले 545 और 6000 हॉर्सपावर वाले 184 इंजन शामिल हैं। अब इस फैक्ट्री से 3000 करोड़ के निर्यात करार के तहत अगली तीन वर्षों में 150 इंजन गिनी भेजे जाएँगे। इससे भारत की वैश्विक सप्लाई चेन में अहमियत और बढ़ेगी।

बनते-बनते बना ब्रांड इंडिया का सिम्बॉल

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “ये सिर्फ एक इंजन नहीं, ये भारत की आत्मनिर्भरता, ग्लोबल स्पर्धा में हिस्सेदारी और बिहार की मेहनत का नतीजा है।” भारत अब ना सिर्फ रेलवे का इस्तेमाल करने वाला देश है, बल्कि उसे बनाने वाला और उसे दुनिया में भेजने वाला भी बन गया है। और इसमें बिहार का योगदान सराहनीय है।

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PM मोदी का दौरा, चुनावी तैयारी या विकास का ट्रैक?

यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब बिहार में चुनावी हलचल भी तेज़ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिवान से अपने इस दौरे की शुरुआत की और लगभग 9145 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नींव रखी। उन्होंने वैशाली-देवरिया रेल लाइन का शिलान्यास किया और मुज़फ्फरपुर-बेतिया होकर चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन भी किया। मोदी ने मंच से कहा, “दुनिया आज भारत को तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में देख रही है और बिहार इसमें बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है।”

इंजन नहीं, भारत का विज़न दौड़ेगा अब पटरी पर

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अगर अबतक आपने सोचा कि ‘मेक इन इंडिया’ सिर्फ एक नारा है, तो ये खबर आपका नजरिया बदल देगी। 3000 करोड़ की डील, अफ्रीका की ऑर्डर बुक और बिहार से निकले हाईटेक इंजन अब भारत के सपनों को रफ्तार देने वाले हैं। यह सिर्फ बिहार का या रेलवे का विकास नहीं है, यह भारत की अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी का एलान है।

यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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