चलान का खेल पलटने वाला है! 7000 का चालान, और कट गए सिर्फ 500 रुपए – जानिए ये जुगाड़ क्या है

सड़क पर स्पीड थोड़ी ज्यादा हो गई, या फिर हेलमेट पहनना भूल गए – और सीधा मोबाइल पर आ जाए 7000 रुपए का चालान! दिल पर क्या बीतेगी जब पता चले कि अब पुलिस की सीटी नहीं, कैमरे की आंख चालान काटती है। लेकिन अब इसमें भी देसी इलाज निकल आया है – लोक अदालत। जी हां, अगर आप भी चालान से परेशान हैं, तो ये खबर आपके लिए रामबाण है।

कैमरे से चालान, लेकिन इलाज लोक अदालत में

अब सड़क पर ट्रैफिक पुलिस की जरूरत भी नहीं। रेड लाइट जंप हो, ओवरस्पीडिंग हो या बाइक को कहीं भी खड़ा कर दिया हो – सबकुछ अब ट्रैफिक पुलिस के हाईटेक कैमरे पकड़ लेते हैं। और चालान कटता है सीधे ऑनलाइन। इन चालानों में पुराने समय वाला 100-200 का सिस्टम अब नहीं चलता, अब तो हजारों में चालान आते हैं। लेकिन इस भारी-भरकम चालान से राहत दिलाने के लिए एक शानदार तरीका है – लोक अदालत में चालान सुलझाना।

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लोक अदालत में हुआ तगड़ा जुगाड़ – 7000 का चालान सिर्फ 500 में

10 मई को देशभर में लोक अदालत का आयोजन हुआ। इस दौरान दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको चौंका दिया। दिल्ली के एक ऑटो ड्राइवर मुन्ना का 7000 रुपए का चालान सिर्फ 500 रुपए में सेटल कर दिया गया। गलती थी तेज रफ्तार और गलत जगह पार्किंग की, लेकिन लोक अदालत में मामला आया तो एकदम से रियायत मिल गई। मुन्ना ने खुद बताया कि उसके ऊपर करीब 90 चालान थे, लेकिन वो सब धीरे-धीरे लोक अदालत में सुलझा रहा है।

मुन्ना ने बताया देसी राज – जुर्माना क्यों भरें पूरा?

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मुन्ना का कहना है कि जब लोक अदालत में 92 प्रतिशत तक चालान कम हो सकता है, तो फिर बेवकूफी क्यों करें पूरी रकम भरने की? उसने बताया कि कई बार उसे पता ही नहीं चलता कि कैमरे कहां-कहां लगे हैं, लेकिन चालान कट जाता है। ऐसे में लोक अदालत ही सबसे बढ़िया ऑप्शन है, जहां सस्ता और सेटलमेंट दोनों मिलते हैं। अगर आप भी चालान की चक्की में पिस रहे हैं, तो अगली लोक अदालत का इंतजार करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

हर गलती पर भारी चालान, लेकिन समझदारी में है समाधान

जब से नए ट्रैफिक नियम लागू हुए हैं, चालानों की रकम आसमान छूने लगी है। सड़क परिवहन मंत्रालय का मकसद है कि लोग नियमों का पालन करें, लेकिन आम आदमी पर इसका बोझ भी बढ़ गया है। अब छोटी सी गलती जैसे हेलमेट ना पहनना या रेड लाइट पर रुकना भूल जाना भी हजारों का चूना लगा सकता है। ऐसे में लोक अदालत जैसा प्लेटफॉर्म राहत की सांस लेने जैसा है।

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टिप – लोक अदालत में चालान कैसे सुलझाएं

अगर आपका चालान भी हजारों में है, तो ऑनलाइन ट्रैफिक पोर्टल पर जाकर चालान की स्थिति देखें। फिर देखें कि आपके राज्य में अगली लोक अदालत कब लग रही है। लोक अदालत में जाने के लिए आपको चालान की कॉपी और अपनी पहचान पत्र लेकर जाना होगा। वहां केस को पेश करें और फिर सुनवाई में रियायत की मांग करें। अधिकतर मामलों में भारी छूट मिलती है।

अब चालान से डरने की नहीं, समझदारी दिखाने की जरूरत

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तो भइया, अगली बार जब मोबाइल पर मोटा-मोटा चालान आए, तो घबराइए मत। सीधा लोक अदालत का रुख कीजिए और समझदारी से मामला सुलझाइए। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे सब्जी मंडी में मोलभाव – जितना बोलें, उतना घटवा लो। अगर ऑटो ड्राइवर मुन्ना 7000 का चालान सिर्फ 500 में निपटा सकता है, तो आप क्यों नहीं?

चलते-चलते बस इतना ही कहेंगे कि अब चालान से डरने का जमाना गया, अब तो लोक अदालत के रास्ते पर चलने का वक्त आ गया है। सड़क पर गलती सब से होती है, लेकिन समझदारी वहीं है जो नुकसान को कम कर दे। तो अगली बार जब चालान आए, तो पुलिस थाने के चक्कर काटने से अच्छा है लोक अदालत में एक बार झांके। क्या पता, आपके 7000 भी सिर्फ 500 में निपट जाएं!

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी पूरी तरह से मीडिया रिपोर्ट्स और ट्रैफिक नियमों पर आधारित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी प्रकार के चालान या कानूनी सलाह के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइट या अधिकृत ट्रैफिक अथॉरिटी से संपर्क करें।

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