सड़कों पर तेजी से दौड़ते इलेक्ट्रिक स्कूटर अब भारत में आम हो चुके हैं, लेकिन सोचिए अगर कल से आपका पसंदीदा इलेक्ट्रिक स्कूटर मिलना ही बंद हो जाए तो? जी हां, बजाज चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर के शौकीनों के लिए बुरी खबर आ सकती है, क्योंकि चीन ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में भूचाल आ सकता है।
चीन का फैसला और भारत की चिंता
दरअसल, चीन ने जुलाई से रेअर अर्थ मैग्नेट्स के एक्सपोर्ट पर सख्त पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। ये वही मैग्नेट्स हैं जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक स्कूटर और कारों के जरूरी पार्ट्स में होता है। अगर चीन इस फैसले पर अडिग रहता है, तो भारत में बजाज चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर का प्रोडक्शन ठप पड़ सकता है।
बजाज ऑटो के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राकेश शर्मा ने साफ शब्दों में कहा है कि कंपनी की रेअर अर्थ मटेरियल की इन्वेंटरी बहुत तेजी से खत्म हो रही है और जुलाई से प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ सकता है। ये बयान साफ करता है कि स्थिति गंभीर होती जा रही है और भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिलीवरी प्रभावित हो सकती है।
बजाज चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिलीवरी पर संकट
बजाज चेतक भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले इलेक्ट्रिक स्कूटर में से एक है। कंपनी इसका निर्माण पुणे स्थित अपने अत्याधुनिक प्लांट में करती है। लेकिन रेअर अर्थ मटेरियल की कमी के चलते अब इसकी डिलीवरी समय पर हो पाएगी या नहीं, इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अगर चीन से ये मटेरियल नहीं आता, तो फैक्ट्री चलाना भी मुश्किल हो जाएगा।
रेअर अर्थ मैग्नेट्स का क्या है रोल
इलेक्ट्रिक स्कूटर और कारों में जो बैटरी और मोटर लगी होती है, उनमें रेअर अर्थ एलिमेंट्स जैसे लीथियम, कोबाल्ट और मैग्नेट्स का इस्तेमाल होता है। ये मैग्नेट्स मोटर को चलाने और बैटरी की क्षमता बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। चीन की बात करें तो दुनिया में 80 फीसदी तक इनका उत्पादन वही करता है। यानी अगर चीन ने डंडा चला दिया, तो दुनिया की EV इंडस्ट्री का दम घुट सकता है।
चीन से इम्पोर्ट अटका तो क्या होगा?
भारत की ऑटो कंपनियों ने चीन से रेअर अर्थ मैटेरियल के लिए करीब 30 एप्लिकेशन लगाई हैं, लेकिन अब तक किसी को क्लियरेंस नहीं मिला है। चीन का कहना है कि उन्हें 40-45 दिन लग सकते हैं, लेकिन भारत के अधिकारियों को इस बात पर भरोसा नहीं है। अगर जुलाई तक ये सामान भारत नहीं पहुंचा, तो बजाज चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर के अलावा बाकी कंपनियों की गाड़ियां भी अटक सकती हैं।
पहले भी कर चुका है चीन परेशान
ये पहली बार नहीं है जब चीन की नीतियों ने भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर की नींद उड़ा दी हो। कोविड के समय भी जब चीन में सप्लाई चेन टूट गई थी, तो कई कंपनियों को अपने प्रोडक्शन ठप करने पड़े थे। अब दोबारा वही हालात बन रहे हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार मामला सीधे इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिलीवरी से जुड़ा हुआ है।
भारत की आत्मनिर्भरता पर सवाल
सरकार लगातार “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” की बात कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि आज भी हमारे इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर की रीढ़ चीन से आने वाले सामान पर टिकी है। जब तक हम खुद रेअर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन नहीं करते या चीन के विकल्प नहीं खोजते, तब तक हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बन सकते।
अगर वाकई में चीन ने रेअर अर्थ मटेरियल के एक्सपोर्ट को रोक दिया, तो भारत में बजाज चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिलीवरी पर सीधा असर पड़ेगा। ये संकट सिर्फ एक कंपनी का नहीं, बल्कि पूरे इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग का है। भारत को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस दिशा में वैकल्पिक आपूर्ति चैन तैयार करे और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे।
देसी अंदाज में कहें तो अगर चीन ने बोल दिया “नो मैग्नेट्स”, तो चेतक का पहिया वहीं रुक जाएगा। अब देखना है कि भारत सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है, वरना आने वाले दिनों में लोगों को स्कूटर खरीदने की लाइन की जगह इंतजार की कतार में लगना पड़ सकता है।
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