अगर आपको लगता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें आपके बजट का हाल बेहाल कर रही हैं, तो ज़रा रुकिए! अब सरकार की नई सोच और TERI की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अगर देश के 44 बड़े शहरों में EV (Electric Vehicle) को सही तरीके से अपनाया जाए, तो भारत न सिर्फ तेल आयात पर ₹9 लाख करोड़ बचा सकता है बल्कि प्रदूषण पर भी ऐसा ब्रेक लगेगा कि सांस लेना भी सुकून वाला हो जाएगा।
EV से होगा हज़ारों करोड़ का फायदा
The Energy and Resources Institute यानी TERI की स्टडी के अनुसार, अगर 2035 तक भारत 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 44 बड़े शहरों में पुरानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की जगह EV को बढ़ावा दे, तो करीब 106.6 अरब डॉलर यानी ₹9.07 लाख करोड़ का तेल आयात बचाया जा सकता है। इतना ही नहीं, इससे हर दिन 11.5 टन PM2.5 जैसे खतरनाक प्रदूषकों में भी कटौती होगी, जिससे हवा में सुधार होगा और फेफड़ों को राहत मिलेगी।
61 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड की कटौती
इस इनिशिएटिव से ग्रीनहाउस गैस एमिशन में भी बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2035 तक करीब 61 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड कम किया जा सकेगा। यह वैसा ही है जैसे करोड़ों पेड़ एक साथ सांस ले रहे हों और वातावरण को शुद्ध कर रहे हों।
पुरानी गाड़ियों से सबसे ज्यादा खतरा
स्टडी बताती है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर, खासकर सर्दियों में, भारत के बड़े शहरों में एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा गुनहगार बन जाता है। PM10 का 24 फीसदी और PM2.5 का 37 फीसदी हिस्सा सिर्फ ट्रांसपोर्ट से आता है। पुराने डीज़ल वाले वाहन, खासकर बसें, इस समस्या की जड़ हैं। इन्हीं की वजह से हवा में ज़हर घुलता है।
पुरानी बसों पर ब्रेक लगाना ज़रूरी
TERI ने सुझाव दिया है कि अगर पुरानी बसों की उम्र पर पॉलिसी के ज़रिए रोक लगाई जाए, तो 2030 तक PM2.5 प्रदूषण में 50 फीसदी और नाइट्रोजन ऑक्साइड के एमिशन में 80 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। यानी पॉल्यूशन का खेल खत्म करने के लिए अब पॉलिसी का हथियार चलाना ज़रूरी हो गया है।
2035 तक हटाई जाएंगी 1.14 करोड़ गाड़ियां
रिपोर्ट में एक फेज़-वाइज़ प्लान भी दिया गया है जिसमें 2030 से 2035 के बीच करीब 1.14 करोड़ पुरानी गाड़ियों को सड़क से हटाने की बात कही गई है। इनकी जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स या CNG गाड़ियों को लाने का सुझाव दिया गया है। इससे न सिर्फ प्रदूषण में भारी कमी आएगी, बल्कि भारत का क्लाइमेट चेंज के खिलाफ जंग में रोल भी मजबूत होगा।
EV क्रांति से मिलेंगी लाखों नौकरियां
इस ट्रांज़िशन का एक और बड़ा फायदा होगा रोज़गार का बूम। अनुमान है कि सिर्फ इस EV क्रांति से 3.7 लाख से ज्यादा नई नौकरियों का रास्ता खुलेगा, खासकर रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में। चार्जिंग स्टेशन, स्क्रैपिंग फैसिलिटीज और EV मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स इस रोजगार को और बढ़ाएंगी।
45,000 चार्जिंग स्टेशन और 130 स्क्रैपिंग यूनिट्स की ज़रूरत
स्टडी में ये भी कहा गया है कि इस बदलाव को हकीकत में बदलने के लिए 44 शहरों में 45,000 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन और 130 व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटीज बनानी होंगी। यानी इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बड़ा फोकस होगा। वहीं अगर पुरानी गाड़ियों को CNG में बदला जाए तो इसके लिए 2,655 नए CNG स्टेशन चाहिए होंगे और नौकरियों की संख्या घटकर 45,000 रह जाएगी।
अब वक्त है EV की सवारी का
आज जब हर तरफ पेट्रोल-डीजल की मार है और प्रदूषण शहरों की हवा को ज़हरीला बना रहा है, तो EV की तरफ बढ़ना अब मजबूरी नहीं, ज़रूरत बन गया है। अगर सरकार और जनता दोनों मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं, तो न सिर्फ हमारा बटुआ बचेगा, बल्कि हमारी सांसें भी!
डिस्क्लेमर: यह लेख TERI द्वारा प्रकाशित अप्रैल 2025 की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई सभी जानकारी प्रमाणिक स्रोतों पर आधारित है और किसी भी तरह की भ्रामक या काल्पनिक बातों से दूर रखी गई है। पाठकों से अनुरोध है कि इस विषय में कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले संबंधित अधिकारियों या विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें।