अमेरिकी टैरिफ विवाद में भारत का ज़ोरदार पलटवार, WTO में उठाई ऑटो पार्ट्स पर टैक्स हटाने की मांग

अब खेला हो गया है! अमेरिका ने ऑटो पार्ट्स पर 25% का भारी-भरकम टैक्स लगाया, तो भारत भी चुप नहीं बैठा। सीधे WTO पहुंचकर अमेरिका को दिया कड़ा जवाब। अब देखना ये है कि इस टैरिफ वॉर में जीत किसकी होती है – ट्रंप की ताकत या भारत की ठसक!

भारत बनाम अमेरिका: WTO में ऑटो पार्ट्स टैक्स का घमासान
भारत ने हाल ही में अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन यानी WTO में बड़ा कदम उठाया है। यह टैरिफ अमेरिका ने ऑटो पार्ट्स, यात्री वाहनों और हल्के ट्रकों पर लगाया है। भारत ने इसे सुरक्षा उपाय की आड़ में व्यापार पर नाजायज़ रोक बताया है। सरकार ने साफ कहा कि अमेरिका ने WTO की सुरक्षा समिति को इस कदम की कोई पूर्व सूचना नहीं दी, जो WTO के नियमों की सीधी अवहेलना है।

भारत की तरफ से WTO को 2 जून को भेजे गए परामर्श आवेदन में ये बात भी रखी गई कि ये टैरिफ भारत के ऑटो एक्सपोर्ट को सीधा नुकसान पहुंचा रहा है। भारत अब चाहता है कि WTO खुद हस्तक्षेप करके दोनों देशों के बीच बातचीत करवाए ताकि इस विवाद का निष्पक्ष समाधान निकल सके।

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WTO में भारत की सीधी मांग: हटाओ ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ
भारत की ओर से उठाई गई सबसे अहम मांग यही है कि अमेरिका इस 25% टैरिफ को तत्काल हटाए क्योंकि यह WTO के सुरक्षा समझौते के तहत लागू नहीं किया गया है। भारत ने यह भी कहा कि अमेरिका का यह कदम घरेलू उद्योगों को कृत्रिम रूप से बचाने का तरीका है, जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान हो रहा है।

भारत ने WTO से आग्रह किया है कि अमेरिका के इस टैरिफ की वैधता का आकलन किया जाए और अगर यह नियमों के खिलाफ है तो इसे खत्म करने की दिशा में कार्यवाही हो।

अगर अमेरिका नहीं माना, तो भारत उठाएगा बड़ा कदम
अब भारत ने अमेरिका को साफ कर दिया है – अगर 30 दिनों के भीतर कोई समाधान नहीं निकला, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई करेगा। यानी जैसे को तैसा वाला फॉर्मूला लगेगा। WTO के नियमों के तहत भारत को यह हक है कि वो अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है। ये कदम भारत तभी उठाएगा जब बातचीत से कोई हल नहीं निकलता।

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भारत ने कहा है कि WTO की स्थापना के समय जो समझौते हुए थे, उसमें जो अधिकार उसे दिए गए हैं, वो उन सभी का उपयोग करेगा। इसमें सुरक्षा उपायों पर जो समझौता हुआ था, वो भी शामिल है। यानि भारत अब शांत रहने के मूड में नहीं है, और पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर आया है।

भारत का बदला रुख: अब नर्मी नहीं, सीधे वार
अब तक भारत अमेरिकी नीतियों पर सीधा विरोध करने से बचता रहा है। लेकिन यह पहली बार है जब भारत ने सार्वजनिक रूप से WTO में जाकर अमेरिका को चुनौती दी है। अब भारत ने अपनी कूटनीति को थोड़ा और आक्रामक बना दिया है। इससे पहले स्टील और एल्युमिनियम जैसे उत्पादों पर भी अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया था, तब भी भारत ने जवाबी कार्रवाई का इशारा दिया था लेकिन आधिकारिक रूप से बात नहीं उठाई थी।

इस बार फर्क ये है कि भारत ने बाकायदा कानूनी प्रक्रिया के तहत WTO में आवेदन देकर अमेरिका की टैरिफ नीति पर सवाल उठाए हैं।

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जुलाई की डेडलाइन और अमेरिका की घबराहट
WTO में मामला ऐसे समय में उठा है जब अमेरिका और भारत के बीच जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की बात चल रही है। फिलहाल अमेरिका ने इन नए टैरिफ पर 90 दिन की अस्थायी छूट दी हुई है, जो जुलाई में खत्म हो जाएगी। उससे पहले भारत ने ये कदम उठाकर साफ कर दिया है कि अब वह व्यापार वार्ता में किसी भी दबाव को झेलने को तैयार नहीं है।

साथ ही, 5-6 जून को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर आने वाला है। इस दौरान यही मुद्दा सबसे ज़्यादा चर्चा में रहेगा। अब देखना है कि क्या बातचीत से कोई हल निकलता है या दोनों देश टैरिफ वॉर के मैदान में आमने-सामने होंगे।

अब साफ हो चुका है कि भारत अब किसी के दबाव में झुकने वाला नहीं है। चाहे अमेरिका जैसा ताकतवर देश ही क्यों न हो, अगर व्यापार नियमों का उल्लंघन होगा, तो भारत WTO में जाकर अपनी बात रखेगा और जरूरत पड़ी तो जवाबी कार्रवाई भी करेगा।

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इस पूरे मामले में भारत का रुख न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि हम वैश्विक स्तर पर अपने अधिकारों के लिए लड़ने में पीछे नहीं हटेंगे। अब अमेरिका को तय करना है – दोस्ती का हाथ बढ़ाना है या टैरिफ वॉर का मैदान सजाना है।

डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक गलत जानकारी या नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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