India vs Pakistan Auto : जब बात कार और बाइक की बिक्री की हो, तो भारत का कोई मुकाबला नहीं! यहां हर गली, हर शहर में इतनी गाड़ियाँ बिकती हैं कि देखने वाला सोच में पड़ जाए. लेकिन मजेदार बात ये है कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी मुल्क में हालत इतनी खराब है कि वहां एक महीने में जितनी कारें बिकती हैं, भारत में उतनी एक ही दिन में सड़क पर दौड़ जाती हैं. यकीन नहीं हो रहा? तो चलिए आपको सुनाते हैं ये चौंकाने वाला पूरा किस्सा।
India vs Pakistan Auto
अब भारत सिर्फ चाय, क्रिकेट और बॉलीवुड के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि अब तो हम ऑटोमोबाइल के मामले में भी दुनिया में झंडा गाड़ चुके हैं. अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर आ गया है. देश की जीडीपी में ऑटो सेक्टर का योगदान लगभग 6% है और ये सेक्टर अकेले ही 3 करोड़ लोगों को रोज़गार दे रहा है. मतलब समझिए, ये सिर्फ गाड़ियाँ नहीं बनाते, ये तो देश की तरक्की की रफ्तार तय करते हैं.
पाकिस्तान में कार खरीदना आज भी सपना जैसा
अब पाकिस्तान की हालत देखिए. जहां भारत में लोग SUV, EV और CNG सेगमेंट में रोज़ नई गाड़ियाँ खरीदते हैं, वहीं पाकिस्तान में कार खरीदना आज भी बड़ी बात मानी जाती है. इसकी एक वजह है वहां गाड़ियों की कीमतें बहुत ज्यादा होना. ऊपर से वहां के लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं और ऑटो कंपनियाँ भी घाटे में चल रही हैं.
भारत बनाम पाकिस्तान: आंकड़ों की सीधी टक्कर
अगर सिर्फ मार्च 2025 की बात करें तो भारत में पूरे महीने 3,85,842 यूनिट कारें बिक गईं. उधर पाकिस्तान में पूरे महीने में कारें, पिकअप, हल्के कमर्शियल वाहन और जीपें मिलाकर सिर्फ 11,098 यूनिट्स बिकीं. जी हाँ, सिर्फ ग्यारह हज़ार! यानी भारत में जितनी कारें एक दिन में बिकती हैं, उतनी पाकिस्तान एक महीने में भी नहीं बेच पाता. इससे साफ है कि दोनों देशों की ऑटो इंडस्ट्री में जमीन-आसमान का फर्क है.
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार वहां मार्च में कार बिक्री में 8% की गिरावट दर्ज हुई है. इसकी वजह से कई कंपनियों ने प्रोडक्शन रोक दिया है. पूरे साल में मुश्किल से एक लाख यूनिट्स बिक पाती हैं, जो भारत के हिसाब से कुछ घंटों की बिक्री जैसी लगती है.
बाइक्स में भी भारत का ही दबदबा
अगर दोपहिया वाहनों की बात करें, तो भी पाकिस्तान काफी पीछे है. वहां मार्च 2025 में 1,25,311 यूनिट टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर बिके. अब भारत की बात सुनिए – SIAM की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 16,56,939 यूनिट टू-व्हीलर और 62,813 यूनिट थ्री-व्हीलर मार्च में बिके. सोचिए सिर्फ Honda Activa की 1.90 लाख यूनिट बिक गई, जो पाकिस्तान की कुल दोपहिया बिक्री से भी ज़्यादा है. भाई, ये तो एक्टिवा ही पूरी पाकिस्तान की बाइक मार्केट को टक्कर दे रही है!
पाकिस्तान की कौन-सी कारें हैं फेमस?
अब अगर पाकिस्तान की लोकल गाड़ियों की बात करें, तो वहां ज़्यादातर गाड़ियाँ लाइसेंस के तहत स्थानीय कंपनियाँ बनाती हैं. सबसे फेमस ब्रांड है Suzuki, जो Mehran, Bolan, Cultus और Swift जैसी कारें बनाती है. इसके अलावा Toyota की Corolla और Fortuner, Honda की City और Civic, और Kia की Picanto और Sportage भी काफी पसंद की जाती हैं. लेकिन बिक्री और मुनाफा कम होने की वजह से कोई भी बड़ी इंटरनेशनल कंपनी वहां बड़े स्केल पर इन्वेस्ट करने से हिचकती है.
आखिर क्यों है इतना फर्क?
तो सवाल उठता है कि भारत और पाकिस्तान की ऑटो इंडस्ट्री में इतना फर्क क्यों है? जवाब सीधा है – भारत में लोगों की क्रय शक्ति ज्यादा है, रोड नेटवर्क बढ़िया है, सरकार की नीतियाँ इंडस्ट्री को सपोर्ट करती हैं और कंपनियाँ दिन-ब-दिन इनोवेशन कर रही हैं. वहीं पाकिस्तान में नीतियाँ ढीली, मार्केट छोटा और जनता की जेब हल्की है. ऊपर से विदेशी कंपनियाँ भी वहां रिस्क लेने से डरती हैं.
भारत में SUV और EV का बूम, पाकिस्तान में पुराने मॉडल्स की मांग
भारत में जहां Tata, Mahindra, Hyundai और MG जैसी कंपनियाँ नए-नए SUV और EV लॉन्च कर रही हैं, वहीं पाकिस्तान में अब भी पुरानी तकनीक वाली गाड़ियों की मांग ज्यादा है. वहां आज भी Mehran और Cultus जैसी पुरानी गाड़ियाँ बिकती हैं. यही वजह है कि वहां का ऑटो सेक्टर पीछे छूट गया है.
तो दोस्तों, कहावत है ना – “जहाँ भारत ने गियर थर्ड में डाल लिया, पाकिस्तान अब भी क्लच दबाए बैठा है!” भारत की ऑटो इंडस्ट्री अब सिर्फ घरेलू बाजार में नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट में भी परचम लहरा रही है. पाकिस्तान को अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है. अगर यही हाल रहा, तो आने वाले सालों में भारत की एक बाइक ब्रांड भी पाकिस्तान की पूरी कार इंडस्ट्री से बड़ी बन जाएगी. और भाई, ये कोई फिल्मी डायलॉग नहीं, ये हैं पक्के आँकड़े!
डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आँकड़ों और रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी पूरी तरह विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है और किसी भी देश, कंपनी या व्यक्ति को नीचा दिखाने का उद्देश्य नहीं है। लेख का उद्देश्य केवल सूचनात्मक है।