मारुति सुजुकी धमाका: एक साल में ट्रांसपोर्ट का रिकॉर्ड, पेट्रोल भी बचा और देश का फायदा भी हुआ

अगर आप सोचते हैं कि गाड़ियां सिर्फ सड़कों पर दौड़कर ही देश की सेवा करती हैं, तो जनाब आपको ये खबर चौंका सकती है। इस बार देश की सबसे बड़ी कार कंपनी Maruti Suzuki ने ऐसा काम कर दिखाया है, जिससे देश को जबरदस्त फायदा हुआ है। जी हां, अब गाड़ियां बनाने के साथ-साथ कंपनी उन्हें सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से देशभर में पहुंचाने में भी झंडे गाड़ रही है। Maruti Suzuki Railway Car Transport का मॉडल अब न सिर्फ मुनाफे का सौदा बन रहा है, बल्कि पेट्रोल-डीज़ल की भारी बचत और प्रदूषण में भी बड़ी कटौती ला रहा है।

रेलवे से ट्रांसपोर्ट का रिकॉर्ड तोड़ कारनामा

मारुति सुजुकी ने वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे के जरिए 5.18 लाख गाड़ियों को देश के कोने-कोने में भेजा है। ये आंकड़ा उसकी कुल बनी कारों का 24.3 प्रतिशत हिस्सा है, जिसे सड़क की जगह रेल की पटरी से रवाना किया गया। इतना ही नहीं, कंपनी का दावा है कि ये अब तक का सबसे बड़ा Railway Car Transport by Maruti Suzuki रिकॉर्ड है, जो किसी भी एक वित्त वर्ष में भारत में रेलवे द्वारा किया गया सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल डिस्पैच है।

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ये उपलब्धि सिर्फ संख्या में बड़ी नहीं है, बल्कि देश के पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी है। पेट्रोल-डीज़ल की बचत, ट्रैफिक जाम में कमी और प्रदूषण पर नियंत्रण जैसे फायदों के साथ ये पहल एक सच्चे “देशभक्त बिजनेस” की मिसाल बन गई है।

पेट्रोल की बचत और CO2 में भारी कटौती

इस रिकॉर्ड ट्रांसपोर्टेशन के साथ मारुति सुजुकी ने 63 मिलियन लीटर ईंधन की बचत और 180,660 टन CO2 उत्सर्जन में कटौती का दावा किया है। अब आप खुद सोचिए, जब एक कंपनी इतने बड़े स्तर पर Railway Car Transport अपनाती है, तो इससे देश को कितना फायदा होता है। न पेट्रोल की खपत, न ट्रकों की लंबी कतारें, और न ही बेवजह का ट्रैफिक। हर तरफ सिर्फ स्मार्ट मैनेजमेंट और देसी जुगाड़।

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600 से ज्यादा शहरों तक पहुंची गाड़ियां

मारुति सुजुकी ने रेलवे के जरिए देशभर के 20 से ज्यादा हब्स में गाड़ियां भेजीं, जहां से ये कारें 600 से अधिक शहरों तक पहुंचाई गईं। इससे ट्रक ड्राइवरों पर बोझ कम हुआ और शहरी सड़कों पर भारी ट्रैफिक से राहत मिली। इतना ही नहीं, कंपनी जिन दो प्रमुख बंदरगाहों – मुंद्रा और पिपावाव – के जरिए गाड़ियों का निर्यात करती है, वहां तक भी रेलवे से ही गाड़ियां भेजी गईं। मतलब घरेलू ट्रांसपोर्ट से लेकर एक्सपोर्ट तक, अब रेल ही मारुति की रीढ़ बन चुकी है।

2013 से चला आ रहा सफर, अब पहुंचा ऊंचाई पर

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Maruti Suzuki Railway Car Transport की शुरुआत 2013 में हुई थी। उस समय पहले साल में सिर्फ 65,700 गाड़ियां ही रेलवे से भेजी गई थीं। धीरे-धीरे कंपनी ने ट्रकों से हटकर रेलवे को अपनाया और 2017 में यह आंकड़ा 87,747 तक पहुंचा। 2018 में पहली बार रेलवे से एक लाख गाड़ियां डिस्पैच करने का आंकड़ा पार किया गया, और अब 2025 में पहुंचकर ये 5.18 लाख हो चुका है। साफ है कि यह कोई एक दिन की रणनीति नहीं, बल्कि लगातार चली आई प्लानिंग का नतीजा है।

देश को फायदा, कंपनी को फायदा – सबका भला

जब Maruti Suzuki Railway Car Transport जैसे उपाय अपनाती है, तो न सिर्फ उसे लॉजिस्टिक में सस्ता विकल्प मिलता है, बल्कि देश को भी पेट्रोलियम की खपत कम होने से फायदा होता है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना देशभर में गाड़ियां भेजना अब संभव हो चुका है। कंपनी के इस काम से ये भी साबित होता है कि बड़ी कंपनियां अगर चाहें, तो मुनाफे के साथ देश की सेवा भी कर सकती हैं।

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देसी निष्कर्ष: जब रेलवे और मारुति मिल जाएं, तो फायदा ही फायदा

ये खबर सिर्फ एक रिकॉर्ड की नहीं, बल्कि एक सोच की जीत है। जब Maruti Suzuki Railway Car Transport को प्राथमिकता देती है, तो वो सिर्फ अपनी गाड़ियां नहीं, देश का भविष्य भी पटरी पर रखती है। लाखों गाड़ियां बिना ट्रैफिक में फंसे, बिना धुएं के देशभर में पहुंचाना कोई मामूली काम नहीं। अब वक्त आ गया है कि दूसरी ऑटो कंपनियां भी इस देसी सोच से कुछ सीखें और रेलवे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। वरना सिर्फ गाड़ी बेचना काफी नहीं, उसे सही से पहुंचाना भी उतना ही जरूरी है।

यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक गलत जानकारी या नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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