New EV Scheme : भारत बनेगा इलेक्ट्रिक कारों का गढ़: नई सरकारी स्कीम से चमकेगी EV इंडस्ट्री

New EV Scheme : देश में अगर बिजली से चलने वाली कारों का दौर लाने की कोई योजना बनी है, तो अब वो सपना धीरे-धीरे हकीकत बनने जा रहा है। केंद्र सरकार ने एक नई स्कीम लॉन्च की है, जिसका मकसद है भारत को इलेक्ट्रिक कार निर्माण का ग्लोबल हब बनाना। इस स्कीम के तहत Tesla जैसी दिग्गज विदेशी कंपनियों को निवेश करने के लिए लुभाया जा रहा है, और भारत में EV मैन्युफैक्चरिंग को जबरदस्त रफ्तार मिलने वाली है।

New EV Scheme

नई स्कीम से क्या बदलेगा? | इलेक्ट्रिक कार निर्माण के लिए भारत में निवेश

सरकार ने “Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India” के नाम से इस नई योजना को अधिसूचित किया है। इसके तहत दुनिया भर की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि Tesla जैसे ग्लोबल EV ब्रांड्स भारत में प्लांट लगाएँ और इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन शुरू करें।

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इस स्कीम के तहत अगर कोई कंपनी भारत में कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करती है, तो उसे पांच साल तक इलेक्ट्रिक कारों (CBU – Completely Built Unit) के आयात पर सिर्फ 15% कस्टम ड्यूटी देनी होगी। हालांकि यह छूट केवल $35,000 या उससे ऊपर की कीमत वाली कारों पर मिलेगी।

इलेक्ट्रिक कार स्कीम में क्या हैं नियम-कायदे?

इस योजना के मुताबिक, हर साल अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारें कम ड्यूटी पर भारत में आयात की जा सकेंगी। अगर किसी कंपनी का कोटा पूरा नहीं हुआ तो वो अगले साल के लिए बचाया जा सकता है। हालांकि, सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि किसी भी कंपनी को ₹6,484 करोड़ से ज़्यादा की ड्यूटी छूट नहीं दी जाएगी, या जितना निवेश उसने किया हो, उसमें से जो भी कम हो।

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ये योजना Production Linked Incentive यानी PLI Auto Scheme के तहत लागू की जाएगी, जिसमें DVA यानी Domestic Value Addition को भी आंका जाएगा। इसके लिए केवल उन्हीं उत्पादों को मान्यता मिलेगी, जिन्हें भारत सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियाँ प्रमाणित करेंगी।

भारत में मैन्युफैक्चरिंग ज़रूरी | EV निर्माण के लिए स्थानीय निवेश

यह स्कीम साफ कहती है कि कंपनियों को भारत में नया प्लांट, मशीनरी, इंजीनियरिंग रिसर्च और डेवलपमेंट में खर्च करना होगा। हालांकि, जमीन खरीदने का खर्च निवेश का हिस्सा नहीं माना जाएगा, लेकिन मुख्य प्लांट की बिल्डिंग और उपयोगी सुविधाओं पर 10% तक खर्च मान्य रहेगा।

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चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिकतम 5% तक निवेश मान्य होगा। अगर कोई कंपनी किसी पुराने यानी ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट पर काम करना चाहती है, तो उसके लिए मौजूदा प्लांट से स्पष्ट अलगाव दिखाना अनिवार्य होगा।

बैंक गारंटी से होगा सिस्टम मजबूत | EV स्कीम में भरोसे का पक्का इंतज़ाम

कंपनी को अपनी प्रतिबद्धता साबित करने के लिए एक मजबूत बैंक गारंटी देनी होगी। यह गारंटी या तो ₹4,150 करोड़ या जितनी ड्यूटी माफ होगी, उनमें जो ज़्यादा हो, उतनी राशि की होगी। यह गारंटी स्कीम की पूरी अवधि के दौरान वैध रहनी चाहिए।

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भारत का EV सपना होगा साकार | ग्लोबल लेवल पर बढ़ेगा रुतबा

इस स्कीम का मकसद सिर्फ निवेश लाना नहीं है, बल्कि भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करना है। इससे ‘Make in India’ अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी, रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

भारत का लक्ष्य है कि 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन का सपना पूरा हो, और इस स्कीम से यह रास्ता काफी हद तक आसान होता दिख रहा है। यह पहल न केवल सतत परिवहन को बढ़ावा देगी, बल्कि आर्थिक विकास को भी नई दिशा देगी।

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अब सोचिए, Tesla जैसी हाई-टेक कंपनी अगर भारत में कार बनाएगी, तो क्या नज़ारा होगा! देशी ज़मीन पर बनेगी विदेशी तकनीक की झलक लिए चमचमाती इलेक्ट्रिक कारें। और वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव की गलियों में भी बिजली से चलने वाली कारें दौड़ेंगी। सरकार की ये पहल सही मायनों में भारत को EV की रेस में नंबर वन बना सकती है।

तो तैयार हो जाइए, क्योंकि EV की दुनिया में भारत अब सिर्फ पीछे दौड़ने वाला नहीं, बल्कि दौड़ का अगुवा बनने जा रहा है। और इसमें सरकार का ये नया तड़का लगा कदम गेमचेंजर साबित हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक गलत जानकारी या नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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