बिहार का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है! मढ़ौरा की रेल फैक्ट्री से बने डीजल लोकोमोटिव अब विदेश की सैर करेंगे। प्रधानमंत्री Narendra Modi 20 जून 2025 को इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे, जब बिहार से पहली बार डीजल इंजन गिनी के लिए रवाना होगा।
मढ़ौरा की लोकोमोटिव फैक्ट्री ने बिहार को वैश्विक मंच पर चमकाने का बीड़ा उठाया है। इस बार यह फैक्ट्री अफ्रीकी देश गिनी के लिए 150 डीजल लोकोमोटिव बनाएगी, जिसकी कुल कीमत 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह पहला मौका है, जब बिहार में बना डीजल लोकोमोटिव विदेश की धरती पर दौड़ेगा। इस प्रोजेक्ट से न सिर्फ बिहार का नाम रोशन होगा, बल्कि स्थानीय रोज़गार को भी पंख लगेंगे। देसी इंजीनियरों और कारीगरों की मेहनत अब पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ेगी। मढ़ौरा का ये कारखाना ‘मेक इन बिहार’ के सपने को सच कर रहा है, और ये शुरुआत तो बस ट्रेलर है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है!
मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री का कमाल
मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री बिहार के सारण जिले में एक चमकता सितारा बन चुकी है। इस फैक्ट्री में बने डीजल लोकोमोटिव में आधुनिक तकनीक का ऐसा तड़का है कि बड़े-बड़े देश इसके दीवाने हो रहे हैं। इन इंजनों में एयर-कंडीशन्ड केबिन, फायर डिटेक्शन सिस्टम और ड्राइवरों के लिए रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव जैसी सुविधाएँ हैं। इतना ही नहीं, ये लोकोमोटिव 100 वैगन खींचने की ताकत रखते हैं और इनमें डीपीडब्ल्यूसीएस तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जो इन्हें और भी खास बनाती है। मढ़ौरा से गिनी के लिए पहली खेप में दो इंजन रवाना होंगे, और अगले तीन साल में कुल 150 इंजन भेजे जाएँगे। इस साल 37, अगले साल 82 और तीसरे साल 31 इंजन गिनी के सिमांडौ आयरन ओर प्रोजेक्ट के लिए तैयार किए जाएँगे।
मेक इन बिहार का वैश्विक जलवा
‘मेक इन बिहार’ अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है। मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री ने दिखा दिया कि बिहार के लोग न सिर्फ मेहनती हैं, बल्कि दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते हैं। इन डीजल लोकोमोटिव का निर्यात भारत और अफ्रीका के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करेगा। गिनी का सिमांडौ प्रोजेक्ट, जो वहाँ का सबसे बड़ा आयरन ओर प्रोजेक्ट है, अब बिहार की ताकत से रफ्तार पकड़ेगा। ये इंजन वहाँ की मालगाड़ियों को नई ताकत देंगे और भारत की इंजीनियरिंग का लोहा मनवाएंगे। बिहार के युवाओं के लिए ये प्रोजेक्ट रोज़गार के नए दरवाजे भी खोलेगा, क्योंकि इस फैक्ट्री में हज़ारों लोग काम कर रहे हैं।
रेलवे की कमाई में इजाफा
मढ़ौरा से डीजल लोकोमोटिव का निर्यात भारतीय रेलवे की कमाई में भी बड़ा इजाफा करेगा। एक इंजन की कीमत करीब 23.55 करोड़ रुपये है, और कुल 150 इंजनों का कॉन्ट्रैक्ट 3,533 करोड़ रुपये का है। भारतीय रेलवे ने पिछले साल 1,681 लोकोमोटिव बनाए, जो अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कुल उत्पादन से ज्यादा है। इस निर्यात से रेलवे की आय में और बढ़ोतरी होगी। देसी कारीगरों की मेहनत और आधुनिक तकनीक का ये मेल बिहार को नई पहचान दे रहा है। मढ़ौरा की फैक्ट्री अब वैश्विक स्तर पर लोकोमोटिव निर्यात का हब बनने की राह पर है।
बिहार की शान, गिनी की जान
मढ़ौरा के डीजल लोकोमोटिव सिर्फ मशीनें नहीं, बल्कि बिहार की शान और गर्व का प्रतीक हैं। इन इंजनों में वो ताकत है, जो गिनी के खनन उद्योग को नई रफ्तार देगी। हर इंजन में देसी इंजीनियरों की मेहनत और बिहार की मिट्टी की खुशबू बसी है। ये निर्यात न सिर्फ आर्थिक, बल्कि भावनात्मक रूप से भी बड़ा है। बिहार के लोग, जो कभी पलायन के लिए मजबूर थे, अब अपने हुनर से दुनिया को हैरान कर रहे हैं। मढ़ौरा की फैक्ट्री ने बिहार को वो मंच दिया है, जहाँ से वो पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखा सकता है।
आगे की राह और उम्मीदें
मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री का ये कदम बिहार के लिए एक नई शुरुआत है। ‘मेक इन बिहार’ का नारा अब सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है। ये डीजल लोकोमोटिव बिहार के युवाओं को नई प्रेरणा दे रहे हैं। आने वाले सालों में और भी देशों से ऐसे ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। अगर बिहार इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब मढ़ौरा की फैक्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी लोकोमोटिव हब बन जाएगी। तो, चलिए इस देसी गर्व को सेलिब्रेट करें! मढ़ौरा का डीजल लोकोमोटिव अब गिनी की सड़कों पर दौड़ेगा, और बिहार का नाम पूरी दुनिया में गूँजेगा।
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