सड़क पर अब वो पुराना नज़ारा फिर से दिखने लगा है—पापा की तरह झूले झूले चलने वाला स्कूटर, जिसमें बच्चे आगे, सामान पीछे और स्टाइल सबसे आगे! एक समय था जब हर लड़का बाइक का दीवाना था, लेकिन अब वो दौर पीछे छूटने लगा है। आज के दौर में स्कूटर फिर से बन गया है हर मिडल क्लास परिवार की पहली पसंद।
स्कूटर बनाम बाइक: बदलता ट्रेंड
80 और 90 के दशक में अगर किसी के घर में Bajaj Chetak या LML Vespa खड़ी हो, तो मानिए मोहल्ले में उनकी शान होती थी। शादी-ब्याह, बाज़ार जाना, बच्चों को स्कूल छोड़ना—हर काम में स्कूटर सबसे आगे था। मगर जैसे ही 2000 का दौर आया, Hero Splendor और Bajaj Pulsar जैसी बाइक्स ने सड़कों की कमान संभाल ली। बाइक की स्पीड और स्टाइल ने यूथ को दीवाना बना दिया और स्कूटर पीछे छूट गया।
लेकिन जैसा कि कहते हैं, फैशन और ट्रेंड कभी भी लौट सकता है, और अब वही हो रहा है। इलेक्ट्रिक रेवोल्यूशन और ऑटोमैटिक गियर की सुविधा ने स्कूटर को फिर से लोगों की पसंद बना दिया है।
2024-25 में स्कूटर की धमाकेदार वापसी
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में स्कूटर की बिक्री ने ऐसा कमाल किया है, जो पिछले 7 सालों में नहीं देखा गया। इस साल 68.5 लाख स्कूटर बिके, जो कि 2018-19 के कोविड-पूर्व आंकड़े 67 लाख से भी ज़्यादा है।
FADA की रिपोर्ट बताती है कि 2024-25 में स्कूटर की सेल ने पूरे 2-व्हीलर सेगमेंट को खींच लिया है। स्कूटर की ग्रोथ दर 17.36% तक पहुंच गई, जबकि बाइक की सेल में सिर्फ 5% की ही बढ़ोतरी हुई। इसका सीधा मतलब है कि स्कूटर अब न केवल वापसी कर चुका है, बल्कि बाइक को पीछे छोड़ने का मन भी बना चुका है।
इलेक्ट्रिक स्कूटरों का कमाल
इस स्कूटर क्रांति में इलेक्ट्रिक स्कूटरों का भी बड़ा रोल है। Ola, Ather, TVS, Bajaj और Hero MotoCorp जैसे ब्रांड्स ने मिलकर 10 लाख से ज़्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री की है। इलेक्ट्रिक सेगमेंट में 21% की ग्रोथ देखी गई है, जो बताती है कि लोग अब न सिर्फ ईंधन बचा रहे हैं, बल्कि स्टाइल और आराम में भी कोई समझौता नहीं कर रहे।
बाइक की घटती चमक
SIAM के आंकड़ों पर नज़र डालें तो साफ दिखता है कि स्कूटर अब बाइक्स को चुनौती दे रहा है। 2019-20 में स्कूटर का मार्केट शेयर 30% था, जो अब बढ़कर 35% हो चुका है। वहीं बाइक्स का मार्केट शेयर 66% से घटकर 62% रह गया है।
यह बदलाव साफ दर्शाता है कि आज के कंज्यूमर की सोच बदल रही है। अब वो सिर्फ स्टाइल या स्पीड नहीं, बल्कि कंफर्ट, माइलेज और डेली यूज़ को अहमियत दे रहे हैं, जिसमें स्कूटर खरा उतरता है।
पीढ़ियों के साथ बदली सोच
2-व्हीलर का चुनाव अब सिर्फ ट्रेंड से नहीं, लाइफस्टाइल से जुड़ा मामला बन गया है। आज की मिलेनियल जेनरेशन, जो अब 35 के आसपास है, शादीशुदा ज़िंदगी जी रही है, बच्चों को स्कूल छोड़ती है और वीकेंड पर सामान भरके शॉपिंग जाती है। ऐसे में ऑटोमैटिक गियर वाला स्कूटर उसकी ज़रूरत बन गया है।
यह वही जेनरेशन है जो कभी कॉलेज में बाइक के पीछे भागती थी, लेकिन अब उसे ज़रूरत है एक भरोसेमंद, फ्यूल-एफिशिएंट और कम मेंटेनेंस वाले साथी की। यही कारण है कि एक बार फिर स्कूटर को गले लगाया जा रहा है—इस बार सिर्फ पापा नहीं, मम्मी और बेटियां भी!
भैया की स्पोर्टी बाइक अब भले ही कॉलेज के बाहर खड़ी हो, लेकिन मोहल्ले में अगर किसी का Ola S1 या TVS iQube चमकता हुआ दिख जाए, तो बच्चे से लेकर बूढ़े तक पूछ बैठते हैं—”कितना देती है?”
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि पापा का स्कूटर अब सिर्फ पापा का नहीं रहा! अब ये मम्मी की शॉपिंग ट्रॉली, बच्चों की स्कूल वैन और ऑफिस जाने वाले का सबसे समझदार साथी बन चुका है। और बाइक? वो तो अब इंस्टाग्राम की रीलों में रह गई है!
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आँकड़ों और रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचनात्मक है, किसी ब्रांड या कंपनी को बढ़ावा देना नहीं। कृपया वाहन खरीदने से पहले खुद भी जांच-पड़ताल करें।